Milkha Singh Biography in Hindi : भारतीय स्पोर्ट्स जगत में कई खिलाड़ी अपने शानदार प्रदर्शन एक चलते काफी ज्यादा चर्चा में रहते है। जहा आज सब लोग क्रिकेट के पीछे पागल है वही एक वक्त ऐसा भी था जब भारत में कई स्पोर्ट्स को बराबर का सम्मान मिला करता था। उस दौर में भारत के हर खेल में कई शानदार खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने शानदार खेल के चलते हर किसी के दिल में जगह बनाई और अपना नाम इतिहास के पन्नो पर दर्ज करवा दिया। आज हम आपको भारत के एक ऐसे सुपरस्टार खिलाड़ी, भारत की शान रहे ‘फ्लाइंग सिंह’ या कहे मिल्खा सिंह के जीवन से रूबरू करवाने वाले है। इस लेख में हम मिल्खा सिंह की जीवनी के हर पहलू को विस्तार से जानेंगे, जिसमें शामिल हैं उनकी नेटवर्थ, रिकॉर्ड्स, उम्र, परिवारिक जीवन, और उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य। पढ़िए ‘Milkha Singh Biography in Hindi‘ का यह अनूठा आलेख और जानिए इस अनुठे फ़्लाइंग सिख के जीवन की गहराईयां।
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Milkha Singh Biography in Hindi और पारिवारिक जानकारी:
नाम | मिल्खा सिंह |
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उपनाम | फ़्लाइंग सिख |
जन्म | 20 नवम्बर 1929 |
जन्म स्थान | पाकिस्तान |
Milkha singh height | 1.83 m |
वजन | 70 kg |
कर्म भूमि | भारत |
पत्नी | निर्मल कौर |
milkha singh son | 1 बेटा, 3 बेटियां |
पुरस्कार-उपाधि | पद्मश्री (1959), एशियाई खेलों (1958), (1962), कॉमनवेल्थ खेलों, (1958) |
मिल्खा सिंह का जन्म और परिवार (Milkha Singh Birth and Family):
मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवंबर 1929 को पाकिस्तान के गोविंदपुरा में हुआ था। आपको बता दे आजादी से पहले गोविंदपुरा भारत का हिस्सा हुआ करता था और आजादी के बाद इस हिस्से का नाम बदल दिया गया। मिल्खा और उनका परिवार अपने छोटे से गांव में काफी सीधा और सरल जीवन जीते थे। लेकिन भारत – पाकिस्तान के बटवारे के बाद मिल्खा और उनके परिवार को भागकर भारत आना पड़ा और इस घटना के चलते मिल्खा सिंह की जिंदगी पूरी तरह से बदल गयी।
नागरिकता | भारतीय |
उपलब्धियां | 1958 के एशियाई खेलों में 200 मी व 400 मी में स्वर्ण पदक, 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में |
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मिल्खा सिंह की शिक्षा (Milkha Singh Education):
मिल्खा सिंह ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने गांव से प्राप्त की। वही आजादी के बाद उन्हें भारत आना पड़ा इस दौरान उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि मिल्खा सिंह के स्कूली शिक्षा को लेकर फिलहाल किसी भी तरह के आधिकारिक जानकारी उपलब्ध नहीं है।
मिल्खा सिंह का शुरुआती जीवन
मिल्खा सिंह का शुरुआती जीवन काफी ज्यादा परेशानियों में गुजरा है। भारत के विभाजन के दौरान हुए दंगो में मिल्खा सिंह ने अपने माँ-बाप को खो दिया। किसी तरह बचते बचाते मिल्खा ट्रैन से भारत में आकर शरणार्थी बन गए। भारत में आने के बाद भी मिल्खा सिंह को काफी परेशानीयो का सामना करना पड़ा। मिल्खा ने अपना ज्यादातर वक्त दिल्ली में अपनी बहन के ससुलर में बिताया था। मिल्खा सिंह अपने भाई मलखान के कहने पर भारतीय सेना में भर्ती होने चले गए।
भारतीय सेना में भर्ती के दौरान मिल्खा को कई अच्छे दोस्त मिले और उन्हें अपने टेलेंट के बारे में भी वही पता चला। भारतीय सेना में भर्ती होना मिल्खा के करियर का सबसे बड़ा मोड़ था। उनके इस एक फैसले ने उनके पुरे करियर को बदल दिया। अपनी ट्रेनिंग के दिनों में मिल्खा ने जमकर ट्रेनिंग की और दौड़ना शुरू कर दिया। अपनी धावक योग्यता के चलते उन्हें आर्मी में स्पेशल स्पोर्ट्स ट्रेनिंग के लिए चयनित किया गया।
मिल्खा सिंह शुरुआती करियर (Milkha Singh Career)
मिल्खा सिंह ने आर्मी में काफी जबरदस्त ट्रेनिंग की और 200 मी और 400 मी दौड़ में अपनी एक अलग पहचान बनाई। अपने शानदार प्रदर्शन एक चतले मिल्खा सिंह को 1956 के मेलबर्न ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। हालांकि मेलबर्न ओलंपिक में मिल्खा सिंह का प्रदर्शन काफी ज्यादा साधारण रहा। मिल्खा सिंह को देखकर साफ़ नज़र आ रहा था की उसके पास अनुभव और सही ट्रेनिंग की कमी है।
मेलबर्न ओलंपिक में मिली हार ने मिल्खा सिंह को काफी बुरी तरह तोड़ दिया था। इस हार के बाद मिल्खा सिंह ने और भी कड़ी ट्रेनिंग लेना शुरू कर दिया था। 1956 में मिल्खा सिंह को नेशनल गेम्स में खेलने का मौका मिला और इस दौरान मिल्खा ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। वही 1958 में खेले गए नेशनल गेम्स के दौरान उन्होंने 200 m and 400 m के पुराने रिकॉर्ड को तोड़ दिया और सभी को अपने प्रदर्शन से हैरान कर दिया।
मिल्खा सिंह 1956 मेलबर्न ओलंपिक 1960 रोम और 1964 टोक्यो ओलंपिक्स में नज़र आ चुके है। इस दौरान मिल्खा सिंह का प्रदर्शन काफी शानदार रहा हालांकि वह भारत को मैडल जीतने में कामयाब नहीं हो सके। लेकिन जिस तरह का प्रदर्शन मिल्खा सिंह का रहा उसको देखकर हर भारतीय का सीना गर्व से 2 इंच बड़ा हो गया। वही एशियाई खेलो की बात की जाए तो एशियाई खेलो में मिल्खा सिंह का प्रदर्शन काफी शानदार रहा और उन्होंने भारत के कई मेडल्स जीतकर सभी का गौरव बढ़ाया। कामनवेल्थ गेम्स की बात की जाए तो 1958 में मिल्खा सिंह 440 मीटर रेस में गोल्ड मैडल जीतने वाले भारत के पहले धावक बन गए थे।
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मिल्खा सिंह का एशियाई खेलो में प्रदर्शन (Milkha Singh in Asian games)
मिल्खा सिंह का प्रदर्शन एशियाई खेलो में काफी शानदार साबित हुआ। 1958 में खेल गए एशियाई खेलो में मिल्खा सिंह ने 200 मीटर और 400 मीटर रेस में गोल्ड मैडल जीतकर सभी का दिल जीत लिया। 1962 एशियन गेम्स मे भी मिल्खा सिंह का प्रदर्शन काफी शानदार रहा था। इस साल मिल्खा सिंह ने 400m और 4×400 m relay रेस में गोल्ड मैडल जीतकर मिल्खा सिंह ने देश का नाम रोशन किया। वही 1964 में कलकत्ता में हुए नेशनल गेम्स में 400m रेस में मिल्खा सिंह ने सिल्वर मॉडल जीता। मिल्खा सिंह का करियर काफी शानदार रहा है और उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन से हर किसी का दिल जीता है।
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मिल्खा सिंह का नाम फ्लाइंग सिख कैसे पड़ा (How was Milkha Singh’s name Flying Sikh?)
मिल्खा सिंह के बार में आप ने जरूर सुना होगा की लोग उन्हें फ्लाइंग सिख के नाम से पुकारते थे। क्या आपको पता है मिल्खा सिंह को यह खास नाम आखिर मिला कैसे। दरअसल 1960 में पाकिस्तान ने मिल्खा सिंह को एक दौड़ में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। लेकिन अपने बचपन से दिनों में जो मिल्खा सिंह ने सहा और जो हादसा उनके साथ हुआ उसके चलते वह दूसरा पाकिस्तान की तरफ रुख नहीं करना चाहते थे। पाकिस्तान से मिल्खा सिंह की काफी पूरी यादें जुडी हुई थी।
इस मामले को लेकर उस वक्त के भारत के प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कहने पर मिल्खा सिंह पाकिस्तान गए। पाकिस्तान जाकर मिल्खा ने पाकिस्तानी धावक अब्दुल खालिक को काफी आसनी से हरा दिया। मिल्खा सिंह की रफ़्तार देखकर पाकिस्तान के राष्ट्रपति फील्ड मार्शल अय्यूब खान ने उन्हें “फ्लाइंग सिख” नाम दिया था। मिल्खा सिंह की शानदार रफतार ने हर किसी को उनका दीवाना बना दिया था।
मिल्खा सिंह का निधन(Milkha Singh death)
मिल्खा सिंह का निधन 18 जून 2021को हुआ। मिल्खा सिंह के निधन की खबरों ने हर किसी को काफी तोड़ दिया था। आपको बता दे अपने निधन से कुछ दिन पहले ही मिल्खा सिंह कोरोना वाइरस की चपेट में आ गए थे। मिल्खा सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शोक प्रकट की थी।
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मिल्खा सिंह के बारे में अनसुनी बाते – (Facts About Flying Sikh Milkha Singh)
- भारत – पाकिस्तान के विभाजन के दौरान मिल्खा सिंह भाग कर भारत आ गए थे।
- विभाजन के दौरान मिल्खा सिंह ने अपने माता – पिता को खो दिया था।
- मिल्खा भारतीय सेना में भर्ती होना चाहते थे लेकिन वह लगातार 3 बार असफल रहे और चौथी बार में उनका चयन हुआ।
- 1958 में एशियाई खेलों में अपने शानदार प्रदर्शन के चलते उन्हें आर्मी में जूनियर कमीशन का पद दिया गया।
- पाकिस्तानी जनरल अयूब खान ने मिल्खा सिंह को Flying Sikh की उपाधि दी गयी थी।
- मिल्खा सिंह के जीवन पर के फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम भाग मिल्खा भाग है।
- भाग मिल्खा भाग में फरहान अख्तर ने मिल्खा सिंह की भूमिका निभाई थी।