Major Dhyan Chand Biography in Hindi: भारत एक ऐसा देश है जिसका इतिहास काफी पुराना है। वही बात खेल जगत को लेकर की जाए तो अपने देश में विभिन्न प्रकार के खेल काफी ज्यादा प्रचलित है। एक वक्त था जब हमारे देश में हॉकी को काफी ज्यादा प्यार मिला करता था। लेकिन हॉकी का क्या हाल है हर कोई जनता है। हमारे देश में बहुत कम खिलाड़ी हॉकी खेलना पसंद करते है। एक वक्त था जब देश की गली-गली में हॉकी प्लेयर देखने को मिलते थे हालांकि हॉकी आज भी हमारे यहां देखने को तो मिलती है लेकिन उसका इस्तमाल खेलने के लिए नहीं किया जाता। लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। एक वक्त था जब भारत का नाम हॉकी की दुनिया में काफी अदब से लिया जाता था।
हॉकी के खेल में बढ़ती पॉलिटिक्स और क्रिकेट को मिलती प्रसिद्धि ने हॉकी को भारत से धीरे-धीरे बाहर ही कर दिया है। एक वक्त था जब भारत के पास मेजर ध्यानचंद जैसा हॉकी का जादूगर हुआ करता था। जिसने भारतीय हॉकी को सातवें आसमान पर पंहुचा दिया था। तो चलिए आज हम आपको बताते है हमारे सुपरस्टार खिलाड़ी और भारत की शान मेजर ध्यानचंद के जीवन के बारे में और जानते है आखिर उन्हें क्यों कहा जाता है हॉकी का जादूगर।
इस लेख में हम मेजर ध्यानचंद की जीवनी के हर पहलू को विस्तार से जानेंगे, जिसमें शामिल हैं उनकी नेटवर्थ, रिकॉर्ड्स, उम्र, परिवारिक जीवन, और उनसे जुड़े कुछ रोचक तथ्य। पढ़िए ‘Major Dhyan Chand Biography in Hindi‘ का यह अनूठा आलेख और जानिए इस भारतीय हॉकी खिलाड़ी के जीवन की गहराईयां।
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मेजर ध्यानचंद पर संपूर्ण जानकारी
वास्तविक नाम | ध्यान सिंह |
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उपनाम | हॉकी का जादूगर, चंद (चंद्रमा हिंदी रूपांतरण) |
व्यवसाय | भारतीय हॉकी खिलाड़ी |
लोकप्रियता | विश्व के सबसे बड़े हॉकी खिलाड़ी |
शारीरिक संरचना | |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 170मी०- 1.70फीट इन्च- 5′ 7″ |
वजन/भार (लगभग) | 70 कि० ग्रा० |
आँखों का रंग | गहरा भूरा |
बालों का रंग | काला |
हॉकी | |
अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत | न्यूज़ीलैंड दौरा (अप्रैल 1926) |
डोमेस्टिक/स्टेट टीम | झांसी हीरो |
कोच / संरक्षक (Mentor) | सुबेदार – मेजर भोले तिवारी (सरंक्षक) पंकज गुप्ता (कोच) |
व्यक्तिगत जीवन
जन्मतिथि | 29 अगस्त 1905 |
जन्मस्थान | इलाहाबाद, संयुक्त प्रांत, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु तिथि | 3 दिसंबर 1979 |
मृत्यु स्थल | दिल्ली, भारत |
आयु (मृत्यु के समय) | 74 वर्ष |
मृत्यु कारण | लिवर कैंसर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | झांसी, उत्तर प्रदेश, भारत |
राशि | कन्या |
शैक्षणिक योग्यता | छठी पास |
धर्म | हिन्दू |
जाति | राजपूत |
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Major Dhyan Chand Biography in Hindi और फैमिली :
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। मेजर ध्यानचंद के पिता का नाम समेश्वरदत्तसिंह कुशवाहा था जी की सेना में सूबेदार हुआ करते थे। उनकी माता का नाम शारदा सिंह था। मेजर ध्यानचंद एक राजपुत परिवार से आते है। मेजर ध्यानचंद के दो भाई थे जिनका नाम मूल सिंह और रूप सिंह था। अपने बचपन से दिनों में मेजर ध्यानचंद ने काफी ज्यादा परेशानियों का सामना किया था।
मेजर ध्यानचंद्र शिक्षा (Education)
मेजर ध्यानचंद्र की शिक्षा को लेकर बात की जाए तो मेजर ध्यानचंद्र ने सिर्फ छठवीं कक्षा तक की पढाई की है। वो एक ऐसा वक्त था जब पढाई पर ज्यादा गौर नहीं किया जाता था। वही मेजर ध्यानचंद्र के पिता आर्मी थे जिसके चलते उनका कई बार ट्रांसफर होता था जिसके चलते मेजर ध्यानचंद्र पढाई नहीं कर सके।
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मेजर ध्यानचंद्र हॉकी की शुरुवात (Major Dhyan Chand Hockey Career)

मेजर ध्यानचंद्र के शुरुआती करियर की बात की जाए तो मेजर ध्यानचंद्र जब किशोर अवस्था में थे तब उन्हें हॉकी को लेकर बिलकुल भी लगाव नहीं था। उस वक्त वह काफी रेसलिंग काफी ज्यादा पसंद थी। अपने पड़ोस के बच्चो के साथ मिलकर मेजर ध्यानचंद्र ने हॉकी खेलना शुरू कर दिया। बचपन में पड़े की डाली तोड़कर स्टिक बनाकर हॉकी खेला करते थे वही पुराने कपड़ो की बॉल बनाया करते थे। मेजर ध्यानचंद्र के जीवन में सबसे बड़ा पल तब आया जब वही एक हॉकी का मैच देखने गए थे।
उस मैच के दौरान एक टीम 2 गोल से हार रही थी। तभी मेजर ध्यानचंद्र ने अपने पिता से कहा की में इस हरने वाली टीम से खेलना चाहता हूँ। उस वक्त मेजर ध्यानचंद्र की उम्र महज 14 साल की थी। उस आर्मी मैच में मेजर ध्यानचंद्र के पिता ने अपने बेटे को खेलने की इजाजद देदी। इस दौरान मेजर ध्यानचंद्र ने मैच में 4 गोल किया और अपने शानदार प्रदर्शन से हर किसी को हैरान कर दिया।
मेजर ध्यानचंद्र ने 16 साल की उम्र में पंजाब रेजिमेंट से एक सिपाही बन गए और फिर शुरू हुआ मेजर ध्यानचंद्र का असली सफर। सेना में आने के बाद मेजर ध्यानचंद्र ने अच्छे से हॉकी खेलना शुरू किया। पंकज गुप्ता ध्यानचंद पहले कोच बने और उन्होंने ध्यानचंद्र को हॉकी के बारे में काफी कुछ सिखाया। पंकज गुप्ता ने
ध्यानचंद हॉकी खेलता देखा और कहा यह लड़का एक दिन चाँद की तरह चमकेगा। पंकज गुप्ता ने ही ध्यानचंद को चन्द नाम दिया था। जिसके चलते हर कोई उन्हें ध्यानचंद के नाम से बुलाने लग गया। इस दौरान ध्यानचंद ने काफी मेहनत की और अपने आप को एक बेहतर खिलाड़ी बनाया।
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ध्यानचंद अन्तराष्ट्रीय खेल करियर (Dhyan Chand international sports career)
ध्यानचंद के इंटरनेशनल करियर की बात की जाए तो न्यूजीलैंड में होने वाले एक टूनामेंट के लिए ध्यानचंद का चयन हुआ। जिसमे खेले एक मैच मे भारतीय टीम ने 20 गोल दागे जिसमे से 10 गोल सिर्फ ध्यानचंद के थे। इस टूनामेंट में भारतीय टीम ने 21 मुकाबले खेले थे जिनमे 18 में भारत को जीत प्राप्त हुई 2 मुकाबले ड्रा रहे और एक मैच में भारत को हार का सामना करना पड़ा था। इस पुरे टूनामेंट में भारत की तरफ से 192 गोल किये गए थे जिसमे से 100 गोल सिर्फ ध्यानचंद ने दागे थे। वही 1927 में हुए लन्दन फोल्कस्टोन फेस्टिवल में भारत ने 10 मैचों में 72 गोल किये जिसमे से 36 गोल ध्यानचंद के थे।
ध्यानचंद का देश में तो काफी नाम हो चूका था लेकिन उन्हें इंटरनेशनल लेवल पर ध्यानचंद को पहचान 1932 में हुए बर्लिन ओलिंपिक के दौरान मिली। इस ओलिंपिक के दौरान ध्यानचंद का प्रदर्शन काफी शानदार रहा। भारतीय टीम कई बड़ी-बड़ी को पटखनी दी। इस सेमीफ़ाइनल मुकाबले भारतीय टीम ने फ़्रांस को 10 गोल से हरा कर सभी को हैरान कर दिया। वही इस टूनामेंट के फ़ाइनल मुकाबले की बात की जाए तो फ़ाइनल में भारत और जर्मनी के बिच मुकाबला खेला गया था। इस मैच में भारत पहले 1-0 से पीछे था। वही सेकंड हाफ के बाद ध्यानचंद ने अपने जूते उतार दिए और फिर उन्होंने नंगे पाँव हॉकी खेलना शुरू किया। हारते हुए इस मैच में भारतीय टीम ने 8-1 से जीत दर्ज की।
भारत की इस जीत के बाद ध्यानचंद का नाम काफी ज्यादा चर्चा में आ गए थे। ध्यानचंद के इस प्रदर्शन के चलते उन्हें जर्मनी के हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन आर्मी में हाई पोस्ट ऑफर की थी लेकिन ध्यानचंद को भारत से प्यार था जिसने उन्हीने हिटलर के ऑफर को इंकार कर दिया था।
ध्यानचंद को तीन बार ओलंपिक में खेलने का मौका मिला था। इस दौरान ध्यानचंद का प्रदर्शन करि शानदार रहा था। उन्होंने एम्सटर्डम ओलंपिक 1928, एल.ए 1932 और बर्लिन 1936 में भारत को हॉकी के खेल में गोल्ड मैडल जितवाया। यह एक ऐसा वक्त था जब हॉकी की दुनिया में भारत का एक तरफा राज चला करता था।
Event | Medal |
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1928 Amsterdam Olympics | Gold |
1932 Los Angeles Olympics | Gold |
1936 Berlin Olympics | Gold |
Award/Honor | Year Received |
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Padma Bhushan | 1956 |
Padma Shri | 1956 |
Olympic Order | 1972 |
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मेजर ध्यानचंद के बारे में अनसुनी बाते – (Facts About Major Dhyan chand)
- मेजर ध्यानचंद का चयन 1926 में न्यूजीलैंड में होने वाले टूनामेंट के लिए हुआ था।
- न्यूजीलैंड में अपने शानदार प्रदर्शन के चलते उन्हें सेना में लांस नायक बनाया गया था।
- न्यूजीलैंड में खेले गए टूनामेंट के दौरान ध्यानचंद ने 100 गोल करके सभी को हैरान कर दिया था।
- मेजर ध्यानचंद भारत को 3 बार ओलंपिक में गोल्ड मैडल जीतवा चुके है।
- मेजर ध्यानचंद ने केवल छठवीं कक्षा तक ही पढाई की है।
- मेजर ध्यानचंद के पिता समेश्वरदत्तसिंह कुशवाहा सेना में सूबेदार की पोस्ट पर थे।