आज हर कोई क्रिकेट को ही लेकर बात कर रहा है। क्रिकेट की दुनिया में हमे कई रंग देखने को मिलते है। वहीं क्रिकेट की दुनिया में कई शब्दों का इस्तमाल किया जाता जिनकी मदद से हमे इस खेल के बार में और भी ज्यादा विस्तार से जानने को मिला है। इसी कड़ी में क्रिकेट की दुनिया में एक शब्दों ऐसा भी है जिसे कोई भी अपने नाम के साथ नहीं जुड़वाना चाहता। क्रिकेट की दुनिया वो श्रापित शब्द है ‘Chokers‘ ।  इस शब्द को लेकर क्रिकेट जगत में कई बातें होती है। कोई भी क्रिकेट प्रेमी जब भी ‘Chokers’ शब्द सुनता है तो उसकी नज़रो के सामने बस एक ही टीम का चेहरा  नज़र आता है। जी हां आप सभी समझ रहे है हम बात कर रहे है विश्व क्रिकेट में ‘Chokers’ के नाम से मशहूर टीम, साउथ अफ्रीका की।

किसी भी ICC इवेंट्स में जब भी साउथ अफ्रीकी टीम मैदान में उतरती है तो उन्हें हमेशा चोकर्स की दृष्टि से ही देखा जाता है। हर ICC इवेंट में साउथ अफ्रीका की टीम एक मजबूत टीम के साथ मैदान में उतरती है लेकिन वह बड़े मुकाबलों में जीत हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाती है। 1998/99 में खेला गया विल्स इंटरनेशनल कप जिसे आज चैंपियंस ट्राफी के नाम से जाना जाता है, वों ICC का एक मात्र ऐसा इवेंट है जिसमे साउथ अफ्रीका क्रिकेट टीम को जीत हासिल हुई थी। 

आखिर होता क्या है ‘Chokers’? || चोकर्स मीनिंग इन क्रिकेट

चोकर्स शब्द की बात की जात तो यह शब्द ‘चोक’ से बना है। इस शब्द के वैसे तो कई मतलब होते है लेकिन खेल की दुनिया में इस शब्द की बात की जाए तो ‘जो टीम किसी भी टूर्नामेंट में जीतने की प्रबल दावेदार होती है लेकिन उसके बावजूद वह टीम जीत दर्ज करने में कामयाब नहीं हो पाती उसे खेल की दुनिया में चोकर्स खेलते है।’ 

वहीं स्पोर्ट्स की दुनिया में चोकर्स शब्द की शुरुआत की बात की जाए तो कुछ लोगों का मनाना है की यह शब्द अमेरिका के प्रसिद्ध स्पोर्ट्स सुपरबॉल से जुड़ा है। वहीं कुछ लोग इस शब्द की शुरुआत फुटबॉल से बताते है। जो भो हो इस तरह का शब्द किसी भी टीम के आगे लगना उस टीम के लिए के दुर्भाग्य की बात है। 

साउथ अफ्रीका टीम के साथ जैसे जुड़ा चोकर्स का टैग ?

साउथ अफ्रीका एक ऐसा देश है जिसने अपने इतिहास में कई परेशानियों का सामना किया है। वही आज भी इस देश की परेशानिया कम होने का नाम नहीं ले रही है। रंगभेद को लेकर साउथ अफ्रीका में कई नीतियां बनाई गयी है लेकिन उसके बाद भी इस देश में रंगभेद काफी ज्यादा देखा जाता है। लेकिन इतनी परेशानियों के बाद भी अफ्रीका ने कभी हार नहीं मानी। ICC इवेंट में साउथ अफ्रीका का खेल बहुत शानदार रहता है लेकिन जब भी बड़े मुकाबले आते है वहां टीम लड़खड़ा जाती है। 

1992 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में इस तरह मिली हार

1992 वर्ल्ड कप की बात जब भी की जाती है तब-तब साउथ अफ्रीका टीम का जिक्र सबकी जुबान पर आ ही जाता है। देश में रंगभेद के चलते इस टीम पर बैन लगा हुआ था। जिसको काफी वक्त के बाद 1992 के वर्ल्डकप में हटाया गया और साउथ अफ्रीका की टीम को वर्ल्डकप में खेलने का मौका मिला। इस साल अफ्रीका की टीम ने बहुत ही शानदार खेल दिखाया और सभी को लगेनें लगा की इस साल साउथ अफ्रीका की टीम वर्ल्डकप जीतने में कामयाब हो पाएगी।

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मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम 

आज डकवर्थ-लुईस नियम के बारे में तो हर कोई जनता है लिकिन आपने कभी मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम के बार में सुना है?, इस सवाल को लेकर ज्यादातर लोगो का जवाब ना ही होगा। क्रिकेट के इस नियम ने साउथ अफ्रीका टीम के वर्ल्डकप जीतने के सपने को मिट्टी में मिला दिया था। मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम एक ऐसा नियम था जिसमे अगर मैच के दौरान अगर बारिश होती है तो पहले बल्लेबाज़ी करने वाली टीम ने जिस ओवर में सबसे कम रन बनाए हैं, उस ओवर में बनाए गए रनों के हिसाब से दूसरी पारी में बल्लेबाज़ी करने वाली टीम का लक्ष्य तय किया जाता है। इस नियम में कई बड़ी खामिया थी जिसका खामियाजा साउथ अफ्रीका टीम को उठाना पड़ा था। 

1992 सेमीफाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका की टीम को इंग्लैंड के खिलाफ 253 के लक्ष्य को चेज करना था। जिसमे अफ्रीका कामयाब होते हुए नज़र आ रही थी। मैच के अंत तक अफ्रीकी टीम को 13 गेंदों में सिर्फ 22 रनों की जरुरत थी। लेकिन उसी वक्त बारिश शुरू हो गयी। वहीं बारिश के चलते मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम लागू किया गया जिसके बाद अफ्रीका टीम को 1 बॉल पर 21 रनों का असंभव लक्ष्य मिला। साउथ अफ्रीका को इस मुकाबले में हार झेलनी पड़ी और वह वर्ल्डकप से बहार हो गयी। 

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साउथ अफ्रीका, वर्ल्डकप फाइनल और चोकर्स

1992 विश्व कप में शानदार खेल दिखने के बाद 1996 विश्व में अफ्रीकी टीम को क्वार्टर फाइनल में वेस्टइंडीज के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। 1999 वर्ल्डकप के सेमीफाइनल मुकाबले में साउथ अफ्रीका की टीम ने लगभग जीत अपने नाम कर ली थी। लेकिन वो कहते है ना ‘हाथ तो आया लेकिन मुंह न लगा’ लांस क्लूज़नर ने अपनी टीम को जीत दिलाने के लिए मैच में जान लगा दी थी, लेकिन एलन डोनाल्ड के साथ रनिंग के दौरान ख़राब तालमेल के चलतें साउथ अफ्रीका की टीम सिर्फ एक रन बनाने में कामयाब ना हो सकी और उन्हें एक बार फिर वर्ल्डकप से बहार होना पड़ा। 

साउथ अफ्रीका के इस मैच से पहले कुछ चंद लोग उन्हें चोकर्स कहकर संबोधित करते थे लेकिन इस मैच के बाद पूरी दुनिया साउथ अफ़्रीकी टीम को चोकर्स के नाम से जानने लगी। दुनियाभर के समाचारपत्रों ने साउथ अफ्रीका टीम को चोकर्स के नाम से संबोधित करना शुरू कर दिया और फिर शुरू हुआ साउथ अफ्रीका टीम का चोकर्स बनने का सफ़र। 

इन अहम मुकाबलों में हुई हैसाउथ अफ्रीका की टीम ‘चोक’ 

  • बैन से रिलीज होने के बाद 1992 विश्व कप के सेमीफाइनल में मोस्ट प्रोडक्टिव ओवर्स नियम के चलते मिली थी साउथ अफ्रीका को हार।
  • 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल मुकाबला टाई रहा लेकिन साउथ अफ्रीका का सफ़र इस वर्ल्डकप में खत्म हो गया। 
  • 2007 में जिस तरह का खेल अफ्रीका की टीम ने दिखाया था उसके बाद भी सेमीफाइनल से बहार होना इस टीम पर कई सवाल खड़े करता है। 
  • 2015 विश्व कप में हर किसी का प्यार साउथ अफ्रीका की टीम को मिला था। यह साउथ अफ्रीका की सबसे पॉवरफुल टीम मानी जाती है। लेकिन न्यूजीलैंड की टीम ने एक बार फिर साउथ अफ़्रीकी खिलाड़ियों साथ-साथ पुरे विश्व की आंखे आंशुओं भर दी थी।
  • 2023 विश्व कप सेमीफाइनल में अफ़्रीकी टीम ने अपनी पूरी जान लगा दी लेकिन अपनी नम आंखों के साथ उन्हें इस साल भी विश्व कप से रुखसत होना पड़ा। 

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South Africa ‘Chokers’ of world cricket 

इस बात में कोई शक नहीं है की अगर कभी विश्व क्रिकेट में चोकर्स कप होगा तो उसमे भी साउथ अफ्रीका की टीम चोक कर जाएगी। चोकर्स का ताज़ साउथ अफ्रीका की टीम से कोई नहीं छीन सकता। लेकिन हर क्रिकेट प्रेमी यह जरुर चाहता है की एक दिन साउथ अफ्रीका की टीम इस टैग को पीछे छोड़ विश्व कप की ट्राफी अपने नाम करेगी और क्रिकेट जगत में कई कीर्तिमान अपने काम करेगी। 

हेलो दोस्तों मेरा नाम निखिल है और में मीडिया जगत में अपने लेख के जरिये बदलाव लाने आया हूँ। जैसा की आप सभी को पता है हर एक शब्द की अपनी एक ताकत होती है जो किसी के विचारो में बदलाव ला सकती है। आशा करता हूँ आपको मेरे लेख पसंद आएंगे और आपको इन लेख की मदद से कुछ नया सिखने को मिलेगा।

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